तेलिया कंद कहीं आपके लिये अभिशाप न बन जाये कैंसर रोगियों
आज से 25 साल पहले जब मैं बस्तर के घने जंगलों में बुजुर्ग पारंपरिक चिकित्सकों से तेलिया कन्द के उपयोगों के बारे में विस्तार से जानकारी एकत्र कर रहा था तब मुझे पता चला कि तेलिया कंद के साथ हल्दी का प्रयोग किसी भी रुप में हानिकारक हो सकता है।
बस्तर के के पारंपरिक चिकित्सक लीवर कैंसर की चिकित्सा में माहिर थे और जब उन्हें इस कैंसर की चिकित्सा के लिए तेलियाकंद का प्रयोग करना होता था तब वे अपने रोगियों को साफ शब्दों में चेता देते थे कि वे भूल कर भी इस कंद के प्रयोग के साथ हल्दी का प्रयोग न करें अन्यथा लाभ के स्थान पर हानि हो सकती है।
मैंने सैकड़ों मामलों में देखा कि जब रोगियों ने पारंपरिक चिकित्सकों की इस बात को अनदेखा किया तो उनका कैंसर ठीक होने की बजाए बहुत ही अधिक तेजी से बढ़ने लगा।
बस्तर के पारंपरिक चिकित्सक जब दवा तैयार करते थे तो अपने औषधीय मिश्रणों में भूलकर भी हल्दी का प्रयोग नहीं करते थे।
हमारी आज की पीढ़ी के पारंपरिक चिकित्सक और वैद्य शायद इस नग्न सत्य से अनभिज्ञ है।
यही कारण है कि वे अपने रोगियों को तेलियाकंद देते समय इस बात की हिदायत नहीं देते हैं
मैंने ऐसे सैकड़ों मामले देखे हैं जिसमें कि तेलियाकंद के साथ हल्दी के प्रयोग ने कैंसर को तेजी से बढ़ने में मदद की और देखते ही देखते रोगी मौत के घाट उतर गए।
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